F मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले ने राज्य की कृषि उपज खरीद प्रणाली पर सवाल - INDIA GOOGLE ALL FARMATA

INDIA GOOGLE ALL FARMATA

The purpose of india google all farmate is to provide information related to news, education, technology, general information, general knowledge, mponline vacancy government rdvv admission, counselling, course, computer, virus,mobile,latest bharti news, information local, AI artificial intelligent


Wikipedia

Search results

Translate

30 May, 2025

मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले ने राज्य की कृषि उपज खरीद प्रणाली पर सवाल

मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले ने राज्य की कृषि उपज खरीद प्रणाली पर सवाल


 मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले ने राज्य की कृषि उपज खरीद प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।  इस घोटाले में सरकारी पोर्टल का दुरुपयोग कर धान की खरीद में व्यापक अनियमितताएं सामने आई हैं। 

मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले को लेकर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने व्यापक जांच और कार्रवाई की है।  इस घोटाले में धान खरीदी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। 


🔍 घोटाले का खुलासा

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की जांच में पता चला कि प्रदेश के 12 जिलों की 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउस में लगभग ₹5 करोड़ की हेराफेरी हुई है।  जांच के दौरान सतना जिले के कनक वेयरहाउस में 535 क्विंटल धान की जगह भूसी पाई गई, जो इस घोटाले की गंभीरता को दर्शाता है।  


🏛️ कानूनी कार्रवाई

EOW ने जबलपुर जिले में 22 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है और गिरफ्तारियां भी की गई हैं।  

भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने विधानसभा सत्र के दौरान इस घोटाले को उजागर किया और आरोप लगाया कि बिना धान जमा किए ही सरकारी खातों से करोड़ों रुपये निकाले गए।  


📊 ई-उपार्जन पोर्टल का उद्देश्य

ई-उपार्जन पोर्टल का मुख्य उद्देश्य किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सीधे उपज खरीदना और भुगतान को पारदर्शी बनाना था।  इस प्रणाली के माध्यम से बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने का लक्ष्य था।  


🚨 आगे की कार्रवाई

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर EOW ने 25 टीमों का गठन कर प्रदेशव्यापी जांच शुरू की है।  यह जांच ट्रांसपोर्टर्स, वेयरहाउस और राइस मिलों की भूमिका की भी पड़ताल कर रही है।  


 EOW की रिपोर्ट और FIR विवरण

जांच का दायरा: EOW ने 12 जिलों की 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउसों पर छापेमारी की, जिसमें लगभग 19,910.53 क्विंटल धान की हेराफेरी का खुलासा हुआ।  

FIR और आरोपी: EOW ने 8 जिलों की 38 समितियों के 145 व्यक्तियों के खिलाफ 38 FIR दर्ज की हैं।  इनमें समिति पदाधिकारी, ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस संचालक और राइस मिल मालिक शामिल हैं।  

विशेष मामला: सिवनी जिले की शकुंतला देवी राइस मिल के मालिक आशीष अग्रवाल के खिलाफ धारा 316(5) भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।  


📥 EOW रिपोर्ट और FIR प्राप्त करने की प्रक्रिया

यदि आप EOW की रिपोर्ट या किसी विशेष FIR की प्रति प्राप्त करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

1. EOW की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: https://eow.mp.gov.in/fir/ 

2. FIR अनुभाग में खोजें: यहां आप जिलेवार या केस नंबर के आधार पर FIR की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

3. सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन: यदि आवश्यक दस्तावेज़ ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं, तो आप संबंधित EOW कार्यालय में RTI आवेदन देकर रिपोर्ट की प्रति मांग सकते हैं। 

4. स्थानीय EOW कार्यालय से संपर्क: जबलपुर स्थित EOW इकाई से सीधे संपर्क कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में वर्ष 2025 में ई-उपार्जन प्रणाली के तहत एक बड़ा धान खरीद घोटाला सामने आया है, जिसमें सरकारी अधिकारियों, सहकारी समितियों और राइस मिल संचालकों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। 


📌 जबलपुर जिले में ई-उपार्जन घोटाले की प्रमुख जानकारियाँ

1. 30 करोड़ रुपये का धान परिवहन घोटाला

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा गठित चार सदस्यीय जांच समिति ने पाया कि लगभग 13,000 मीट्रिक टन धान, जिसकी अनुमानित कीमत 30 करोड़ रुपये है, का फर्जीवाड़ा किया गया। 

जांच में सामने आया कि धान के परिवहन के लिए जिन वाहनों का उल्लेख किया गया था, उनमें से कई वाहन कारें या कम क्षमता वाले वाहन थे, जो धान के परिवहन के लिए उपयुक्त नहीं थे। 

कुल 74 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी, सहकारी समितियों के कर्मचारी और राइस मिल संचालक शामिल हैं。 


2. 66 लाख रुपये का धान गायब

सिहोरा क्षेत्र के अरनवी वेयरहाउस 52 में 2,861.15 क्विंटल धान, जिसकी कीमत लगभग 66 लाख रुपये है, गायब पाया गया। 

जांच में पाया गया कि कई बोरियों में धान की मात्रा कम थी और कुछ बोरियों में निम्न गुणवत्ता का धान भरा गया था。 

पुलिस ने वेयरहाउस प्रभारी प्रिंस उपाध्याय और संचालक प्रियंका सोनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है。 


3. गेहूं में मिलावट का मामला

माँ रेवा वेयरहाउस में जांच के दौरान पाया गया कि गेहूं में मिट्टी और पत्थर मिलाकर उसे सरकारी खरीद के लिए प्रस्तुत किया गया था。 

पुलिस ने वेयरहाउस संचालक नितेश पटेल, खरीद प्रभारी शीला बाई कुशवाहा और सबला संकुल संगठन के प्रमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया है。 


⚖️ कानूनी कार्रवाई और प्रशासनिक कदम

जबलपुर जिले में 12 थानों में कुल 74 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। 

प्रशासन ने दोषी पाए गए राइस मिल संचालकों को ब्लैकलिस्ट करने और घोटाले की राशि बैंक गारंटी से वसूलने का निर्णय लिया है。 

EOW ने प्रदेशभर में 25 टीमों का गठन कर जांच शुरू की है, जिससे अन्य जिलों में भी ऐसे घोटालों का खुलासा हो सकता है。

जबलपुर जिले में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले में कई सहकारी समितियाँ और वेयरहाउस शामिल पाए गए हैं। इन संस्थानों पर धान और गेहूं की खरीदी, परिवहन, और भंडारण में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। 


🏢 प्रमुख सहकारी समितियाँ और वेयरहाउस

1. बुढ़ागर लार्ज प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी (सिहोरा)

वेयरहाउस: अरनवी वेयरहाउस 52

घोटाला: 2,861.15 क्विंटल धान, जिसकी कीमत लगभग ₹66 लाख है, गायब पाया गया। जांच में पाया गया कि कई बोरियों में धान की मात्रा कम थी और कुछ बोरियों में निम्न गुणवत्ता का धान भरा गया था。  


2. माँ रेवा वेयरहाउस (कंकर्डेही)

घोटाला: गेहूं में मिट्टी और पत्थर मिलाकर सरकार को बेचा गया। जांच में पाया गया कि 70-75% गेहूं में मिलावट थी। इसके अलावा, 1,020 सरकारी बोरियाँ भी गायब पाई गईं।  


3. शिवांशी वेयरहाउस (ग्राम पटपरा बेरला)

घोटाला: वेयरहाउस संचालक ने गेहूं खरीदी में अनियमितताओं की शिकायत की, जिसके बाद जांच में घोटाले का खुलासा हुआ।  


जबलपुर जिले में वर्ष 2025 के ई-उपार्जन घोटाले में कई प्रमुख व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, सहकारी समितियों और राइस मिल संचालकों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। 

🔍 प्रमुख आरोपी व्यक्तियों की सूची

1. दिलीप किरार

पद: प्रभारी जिला प्रबंधक, मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन (MPSCSC)

स्थान: सराफा वार्ड, पुरानी बजरिया, कोतवाली, जबलपुर

स्थिति: फरार; इनाम घोषित  

2. प्रिंस उपाध्याय

पद: केंद्र प्रभारी, अरनवी वेयरहाउस 52, सिहोरा

आरोप: 2,861.15 क्विंटल धान, जिसकी कीमत लगभग ₹66 लाख है, का गबन

स्थिति: एफआईआर दर्ज  

3. प्रियंका सोनी

पद: संचालक, अरनवी वेयरहाउस 52

आरोप: उपरोक्त धान गबन में सह-अभियुक्त

स्थिति: एफआईआर दर्ज  

4. नितेश पटेल

पद: संचालक, माँ रेवा वेयरहाउस

आरोप: गेहूं में मिट्टी और पत्थर मिलाकर सरकार को बेचना

स्थिति: एफआईआर दर्ज  

5. शीला बाई कुशवाहा

पद: खरीदी प्रभारी, माँ रेवा वेयरहाउस

आरोप: उपरोक्त गेहूं मिलावट में सह-अभियुक्त

स्थिति: एफआईआर दर्ज  

6. कंकर्डेही संकुल संगठन के प्रमुख

पद: अध्यक्ष, सबला संकुल संगठन

आरोप: गेहूं मिलावट घोटाले में संलिप्तता

स्थिति: एफआईआर दर्ज  


📋 अन्य आरोपी और इनाम की घोषणा

जबलपुर जिले में कुल 74 लोगों के खिलाफ 12 थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से कई आरोपी फरार हैं, जिन पर पुलिस ने इनाम घोषित किया है: 

₹10,000 इनाम: दिलीप गुप्ता, अनिल अवतानी, संजय जैन (ग्वालियर), अमन राजू छाबड़ा, सुमित कोरी, रामेन्द्र शर्मा, सुनील प्रजापति, श्यामलता यादव, आयुष खण्डेलवाल, अजय दत्त मिश्रा उर्फ कपिल, रविशंकर पटेल, विशाल सिंह, रोहित ठाकुर 

₹5,000 इनाम: सुबोध कुमार शर्मा, अनिल पटेल, अकलेश सेन, अनूप गोयल, श्याम सुंदर साहू, प्रवीण सावनी, घनश्याम साक्यवार, गोविंद अवस्थी आदि  


⚖️ कानूनी धाराएं और कार्रवाई

इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(2), 318(4), 316(5), 61(2) और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3, 7 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) द्वारा जांच जारी है, और कई आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।  



No comments:

Post a Comment

thank to you

india google all farmate

india google all farmate
IGAF