देवी श्री लालबाई फूलबाई माताजी
देवी श्री लालबाई फूलबाई माताजी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। यह मंदिर सेगांव में स्थित है और श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र माना जाता है।
इतिहास और मान्यता
- मान्यता है कि लगभग 100 वर्ष पूर्व बोराड़ नदी से देवी की पाषाण मूर्ति प्रकट हुई थी।
- एक आदिवासी ओझा को स्वप्न में देवी ने दर्शन दिए और मूर्ति को नीम के पेड़ के नीचे स्थापित करने के लिए कहा।
- मंदिर में तुलादान का विशेष महत्व है, जिसमें श्रद्धालु गुड़ से तुलादान करते हैं।
विशेष आयोजन
- नवरात्रि के दौरान विशेष पूजन और शतचंडी हवन का आयोजन होता है।
- दशहरे के दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
- मंदिर परिसर में माघ माह में चार सप्ताह तक हाट का आयोजन भी होता है।
खरगोन से मात्र 32 किमी. की दूरी पर स्थित सेगांव में प्रसिद्व देवी श्री लालबाई फूलबाई माताजी का ऐतिहासिक स्थान।
देवी श्री लालबाई फूलबाई माताजी का इतिहास माताजी का उद्गमन - तात्कालिन होलकर राज्य, सेगांव तहसील के सेगांव में देवी श्रीलालबाई फूलबाई माताजी के उद्भव की प्राचीन जानकारी के अनुसार लगभग 100 वर्ष पूर्व सेगांव में बहने वाली बोराड़ नदी से माताजी की पाषाण मूर्ति प्रकट हुई है। जानकारी के अनुसार सेगांव के नजदीक बोबलवाड़ी (देवझिरी) के आदिवासी ग्राम के निवासी भिलाला जाति के बड़वा दाजी प्रति मंगलवार नदी में अर्जुन वृक्ष के पास स्नान कर वहाॅ अपनी ध्यान आराधना करते थे। उन्हें स्वपन में देवी ने बतलाया की जहाॅ तुम स्थान करते हो उसकी रेत हटाकर मुझे वहाॅ स्थित नीम की छाॅव में स्थापित करो। उस त्यागी वृति के साधक आदिवासी ने स्वपन मे देवी के बताये अनुसार पाषाण मुर्ति सहयोगियों की मदद तत्काल नदी के पष्चिम किनारे पर नीम वृक्ष के सहारे स्थापित की है। प्रति मंगलवार देवीजी की मूर्ति के यहाॅ पर साधक (बड़वा दाजी) आकर पूजा आराधना करने लगे। ग्रामवासियों द्वारा भी मनोकामनाओं के लिये देवी जी के स्थान पर जाने लगे। ग्रामवासियों एवं अन्य पास के श्रद्वालु देवीजी के सामने नदी में स्नान करना एवं मंदिर में पूजा आराधना करने से उनकी मनोकामना की पूर्णता होने से माताजी की महिमा का विस्तार होने लगा।
माताजी का निर्माण - श्रद्वालुआंे
की भक्ति एवं आने वालों की संख्या में वृद्वि होने पर सेगांव के तात्कालिन
प्रतिष्टित नागरिक एवं ग्रामवासियों के सहयोग से नीम वृक्ष के चारो ओर पत्थर का
पक्का चबूतरा 24 फूट बाय
24 फूट का निर्माण
कर माताजी की मूर्ति व उनकी बहिन फुलबाई की पाषाण मूर्ति वृक्ष के तने के सहारे
स्थापित की गई। श्री मंगतू महाराज पूजारी के समय से ही उत्तर में षिव मंदिर का
निर्माण संवत् 2007 में ही
प्रांरभ हुआ। षिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 28.07.56 को श्री पद्मसिंहजी मण्डलोई द्वारा
कराई गई थी। पंडित/पूजा - माताजी प्रतिदिन सुबह शाम आरती एवं पूजा करने के लिए
ग्राम पंचायत के सरपंच एवं ग्रामवासियों में केषवपुरा के परिक्रमावासी साधु पूज्य
श्री मंगतूजी महाराज को लाकर रखा गया।
श्री मंगतू महाराज पुजारी के अषक्त होने 1962 में श्री
गप्पूजी घुसाईजी को उनकी सहरसता हेतु रखा गया। श्री मंगतू महाराज पूजारी का निधन
वर्ष 1988 में
होने पर श्री बंषीधर जी शर्मा को ग्रामवासियों की राय से श्रीकृष्ण जन्माष्टमि
पर्व पर 03.09.88 को
नियुक्त किया गया है।
पूजा - देवीश्री लालबाई फूलबाई माताजी के परिसर में
समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से देवी श्री दुर्गादेवी शप्तषती का पाठ एवं शत्चण्डी
का हवन 01.05.1970 से 05.05.1970 को पूर्णाहुति
एवं भण्डारा (चैरासी पंगत) का आयोजन किया था। देवी पाठ एवं यज्ञ के आचार्य श्री
गंजानंदजी शास्त्री शहादावासी थे। देवी श्री लालबाई फूलबाई माताजी की महिमा
दिनोदिन बढने लगी। दूर दराज के ग्रामों से श्रद्वालुओं का आने का क्रम बढता गया।
मनोकामनाओं की पूर्ति होने पर मानताओं को उतारने के लिये एवं मनोकामनाओं के लिये
श्रद्वालु माद्य माष के शुक्ल पक्ष एवं वैषाख माष के शुक्ल पक्ष में विषेष रुप से
आते हैं। वर्ष 1992 से देवी
श्री लालबाई फूलबाई माताजी मंदिर से निरन्तर नवरात्रि पर श्री दुर्गादेवी का
सप्तषती पाठ एवं शत्चण्डी हवन एवं 1994 से भण्डारा भोज का आयोजन दषहरे के दिन होता रहता
है एवं सन् 2011 में
सेगांव कमेटी के द्वारा यहाॅ पर सहस़्त्रचण्डी यज्ञ हुआ।
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